कबीर दास जी के वो दोहे जो आपके जीवन को नई राह दिखा सकते हैं, यहां पढ़ें उनके प्रसिद्ध दोहे।

कबीरदास जयंती 2024

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय। माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय॥

गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपनो, गोविन्द दियो बताय।।

चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए। वैद बिचारा क्या करे, कहां तक दवा लगाए।।

साईं इतना दीजिए, जा मे कुटुम समाय। मैं भी भूखा न रहूं, साधु ना भूखा जाय।।

ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोए, औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए ।।

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।।

जीवन में मरना भला, जो मरि जानै कोय | मरना पहिले जो मरै, अजय अमर सो होय ||

Title 3

जब लग आश शरीर की, मिरतक हुआ न जाय | काया माया मन तजै, चौड़े रहा बजाय ||

सत्संगति है सूप ज्यों, त्यागै फटकि असार | कहैं कबीर गुरु नाम ले, परसै नहीं विकार ||